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पुण्य के बिना गुण विकसित नहीं

Posted on by JAIN TERAPANTH NEWS

पुण्य के बिना गुण विकसित नहीं हो पाते' 

जसोल 22 नवम्बर 2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो 
पुण्य के बिना व्यक्ति के जीवन में गुणवत्ता, सज्जनता तथा शालीनता आदि गुण विकसित नहीं हो पाते। अच्छा स्वास्थ्य, मधुर आवाज, प्रभावशाली व्यक्तित्व भी ज्ञानावरणीय कर्मों के खयोत्सम के बिना नहीं मिल पाता। ये उद्गार बुधवार को जसोल के तेरापंथ भवन स्थित वीतराग समवसरण में जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने प्रात:कालीन प्रवचन सभा में व्यक्त किए। 

उन्होंने कहा कि गुरुदेव तुलसी का आन्तरिक व्यक्तित्व जितना प्रभावशाली था, उतना ही उनका बाह्य व्यक्तित्व भी आकर्षक था। 

उनकी रची गई काव्य रचनाए व गीतिकाएं बड़ी ही गुणवत्तापरक रहती थी। धर्म व पुण्य के बिना अच्छी आवाज नहीं मिलती। आचार्य महाप्रज्ञ के स्वर में माधुर्य था, उनकी वाणी सुनने के लिए हर कोई लालायित रहता था। पुण्य के योग बिना कौन किसी की बात सुनता है और मानता है। शरीर भी पुण्य के योग बिना स्वस्थ नहीं रहता। जब भी व्यक्ति अस्वस्थ होता है तो उसके पीछे पाप का कारण रहता है। 



कई बच्चे बड़े ही तीक्ष्ण बुद्धि के होते हैं, ज्ञानावरणीय कर्म व धर्म करने से सुबुद्धि काम करती हैं। नाम, सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, ख्याति, धन, सम्पदा आदि भी पुण्य के उदय से ही मिल पाते हैं। आचार्य ने कहा कि सत्ता पद प्रतिष्ठा या धन सम्पदा मिलने पर व्यक्ति को प्रमाद व अहंकार की वृति से बचना चाहिए। सत्ता मिली तो किसी को नीचा दिखाना, दुखी करना व उसे हैरान-परेशान करना पुण्य का दुरुपयोग है। व्यक्ति के पास करोड़ो रूपये हो भी जाए तो क्या, खायेगा तो दो रोटी ही। पैसे का दुरुपयोग करना संसार की दष्टि से गलत हैं, व्यक्ति को सादगी एवं संयममय जीवन जीना चाहिए। संयम व सादगीपूर्ण जीवन होगा तो पुण्य विनाशकारी नहीं होगा। व्यक्ति को उन्माद या प्रमाद में नहीं जाना चाहिए तथा पुण्य की भी कामना नहीं करनी चाहिए। इससे व्यक्ति अहम् की गिरफ्त में जकड़ जाता है। पुण्य की बजाय साधना निर्जरा व संवर की इच्छा करनी चाहिए। धर्म की साधना से ही पुण्य रूपी वृक्ष फलता है। इस अवसर पर बैंगलोर से आए 300 श्रद्धालुओं के दल ने गुरुवर के सामूहिक दर्शन किए। तेरापंथ सभा बैंगलोर के अध्यक्ष हेमराज श्यामसुखा, मंत्री मोतीलाल बाफना, संगठन मंत्री प्रेमराज चावत ने अपने विचार प्रकट किए। सामूहिक गीतिका लक्ष्य कर आनंद हम पाएं की तेरापंथ सभा, तेरापंथ महिला मंडल व तेरापंथ प्रोफेशनल मंच के सदस्यों ने प्रस्तुति दी।

आभार ज्ञापन ललित मंडोत ने तथा संचालन सुशील चौरडिय़ा ने किया। प्रवचन सभा का संचालन मुनिश्री हिमांशु कुमार ने किया।

पुण्य के बिना गुण विकसित नहीं हो पाते' जसोल 22 नवम्बर 2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो पुण्य के बिना व्यक्ति के जीवन में गुणवत्ता, सज्जनता तथा शालीनता आदि गुण विकसित नहीं हो पाते। अच्छा स्वास्थ्य, मधुर आवाज, प्रभावशाली व्यक्तित्व भी ज्ञानावरणीय कर्मों के खयोत्सम के बिना नहीं मिल पाता। ये उद्गार बुधवार को जसोल के तेरापंथ भवन स्थित वीतराग समवसरण में जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने प्रात:कालीन प्रवचन सभा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गुरुदेव तुलसी का आन्तरिक व्यक्तित्व जितना प्रभावशाली था, उतना ही उनका बाह्य व्यक्तित्व भी आकर्षक था। उनकी रची गई काव्य रचनाए व गीतिकाएं बड़ी ही गुणवत्तापरक रहती थी। धर्म व पुण्य के बिना अच्छी आवाज नहीं मिलती। आचार्य महाप्रज्ञ के स्वर में माधुर्य था, उनकी वाणी सुनने के लिए हर कोई लालायित रहता था। पुण्य के योग बिना कौन किसी की बात सुनता है और मानता है। शरीर भी पुण्य के योग बिना स्वस्थ नहीं रहता। जब भी व्यक्ति अस्वस्थ होता है तो उसके पीछे पाप का कारण रहता है। कई बच्चे बड़े ही तीक्ष्ण बुद्धि के होते हैं, ज्ञानावरणीय कर्म व धर्म करने से सुबुद्धि काम करती हैं। नाम, सम्मान, पद, प्रतिष्ठा, ख्याति, धन, सम्पदा आदि भी पुण्य के उदय से ही मिल पाते हैं। आचार्य ने कहा कि सत्ता पद प्रतिष्ठा या धन सम्पदा मिलने पर व्यक्ति को प्रमाद व अहंकार की वृति से बचना चाहिए। सत्ता मिली तो किसी को नीचा दिखाना, दुखी करना व उसे हैरान-परेशान करना पुण्य का दुरुपयोग है। व्यक्ति के पास करोड़ो रूपये हो भी जाए तो क्या, खायेगा तो दो रोटी ही। पैसे का दुरुपयोग करना संसार की दष्टि से गलत हैं, व्यक्ति को सादगी एवं संयममय जीवन जीना चाहिए। संयम व सादगीपूर्ण जीवन होगा तो पुण्य विनाशकारी नहीं होगा। व्यक्ति को उन्माद या प्रमाद में नहीं जाना चाहिए तथा पुण्य की भी कामना नहीं करनी चाहिए। इससे व्यक्ति अहम् की गिरफ्त में जकड़ जाता है। पुण्य की बजाय साधना निर्जरा व संवर की इच्छा करनी चाहिए। धर्म की साधना से ही पुण्य रूपी वृक्ष फलता है। इस अवसर पर बैंगलोर से आए 300 श्रद्धालुओं के दल ने गुरुवर के सामूहिक दर्शन किए। तेरापंथ सभा बैंगलोर के अध्यक्ष हेमराज श्यामसुखा, मंत्री मोतीलाल बाफना, संगठन मंत्री प्रेमराज चावत ने अपने विचार प्रकट किए। सामूहिक गीतिका लक्ष्य कर आनंद हम पाएं की तेरापंथ सभा, तेरापंथ महिला मंडल व तेरापंथ प्रोफेशनल मंच के सदस्यों ने प्रस्तुति दी। आभार ज्ञापन ललित मंडोत ने तथा संचालन सुशील चौरडिय़ा ने किया। प्रवचन सभा का संचालन मुनिश्री हिमांशु कुमार ने किया।

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